दिल! तुम धड़कते क्यों नहीं



दिल! तुम धड़कते क्यों नहीं
कभी तुम जोरों से धड़क जाया करते थे
उसकी एक आहट से कुछ पल थम
घंटों रुकने का नाम नहीं लेते थे
अब क्यों ख़ामोश हो गए हो
क्यों नहीं धड़कते
तुम्हारे हर धड़कन पर 
मेरी सांसे तेज हो जाया करती थीं
पर उसमें भी एक ठंढ़क थी
अब तुम अचानक से धड़क जाया करते हो
पर उस धड़कन में ठंढ़क नहीं
एक दर्द होता है
पहले भी तेरे धड़कने से बेचैनी थी
पर आज उस बेचैनी में दर्द है
दिल! तुम धड़को
पर एक खुबसूरत एहसास के साथ।।

Written by Radha Rani

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